दुनिया की एकमात्र जगह जहां पर सबसे अधिक व्हाइट टाइगर पाए जाते हैं।

मध्य प्रदेश रीवा मुकुंदपुर, दुनिया की एकमात्र जगह जहां पर सबसे अधिक व्हाइट टाइगर पाए जाते हैं। यह जगह मोहन व्हाइट टाइगर्स सफारी के नाम से जानी जाती है। दुनिया के सबसे पहले व्हाइट टाइगर का नाम मोहन रखा गया था और उसी के नाम पर इस सफारी का नाम पड़ा। मुकुंदपुर शहर रीवा जिले से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मोहन व्हाइट टाइगर्स सफारी महाराजा मार्तंड सिंह व्हाइट टाइगर सफारी एंड जू अंदर मौजूद है।‌ यहां पर बहुत सारे वन्यजीव पाए जाते हैं। व्हाइट टाइगर को देखने के लिए दुनिया भर से पर्यटक आते हैं।

दुनिया की एकमात्र जगह जहां पर सबसे अधिक व्हाइट टाइगर पाए जाते हैं।
Mohan white Tiger safari Rewa Madhya Pradesh

पूरी दुनिया में सिर्फ 200 से ऊपर व्हाइट टाइगर्स मौजूद हैं।‌ आपको हैरानी होगी यह जानकर की आधे से ज्यादा सफेद बाघ सिर्फ भारत में पाए जाते हैं।आईए जानते हैं मोहन व्हाइट टाइगर्स सफारी के बारे में। इस लेख को पढ़कर आप बहुत अच्छी तरीके से व्हाइट टाइगर के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे और यहां पर घूमने के लिए बेहतर योजना बना सकेंगे।

दुनिया की एकमात्र जगह जहां पर सबसे अधिक व्हाइट टाइगर पाए जाते हैं।

दुनिया की एकमात्र जगह जहां पर सबसे अधिक व्हाइट टाइगर पाए जाते हैं।
Mohan white Tiger safari Rewa Madhya Pradesh

माना जाता है सफेद बाघ को पहली बार महाराजा मार्तंड सिंह ने 27 मई 1951 को देखा था। सफेद बाघ को पकड़ कर महाराजा ने अपने पैलेस गोविंदगढ़ में रखा था। सफेद बाघ दूसरे ही दिन पैलेस गोविंदगढ़ से भागने में कामयाब रहा। दूसरी बार सफेद बाघ को रीवा जिले के मुकुंदपुर में देखा गया। महाराजा ने सफेद बाघ का नाम मोहन रखा। मोहन दुनिया का सबसे पहला सफेद बाघ माना जाता है। और इसी के नाम पर व्हाइट टाइगर सफारी का नाम पड़ा।

व्हाइट टाइगर सफारी कैसे पहुंचे?

मुकुंदपुर रीवा को सफेद बाघ की धरती माना जाता है। यहां पर काफी पर्यटक दूर-दूर से सफेद बाघ को देखने के लिए आते है। मुकुंदपुर रीवा पहुंचने के लिए अलग-अलग सुविधाएं मौजूद है। आप भारतीय रेल के द्वारा सीधे मुकंदरपुर पर जा सकते हैं। विमान के द्वारा जाने योजना बना रहे हैं तो रीवा एयरपोर्ट पर उतरना पड़ेगा। रीवा से बस या रेल के द्वारा मुकुंदपुर पहुंचा जा सकता है।

सफेद बाघ मोहन कौन था?

भारत का ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया का पहला सफेद बाघ मोहन के नाम से जाना जाता था। दुनिया में जितने भी सफेद बाघ की संख्या है वह भारत के सबसे पहले सफेद बाघ मोहन की ही देन है। जब 1951 में महाराज ने पहली बार व्हाइट टाइगर को देखा तो वह हैरान रह गए थे। महाराजा सफेद बाघ की सुंदरता के कायल थे। उन्होंने ही व्हाइट टाइगर का नाम मोहन रखा था। बाद में सफेद बाघ के नाम से मोहन व्हाइट टाइगर्स सफारी का नाम पड़ा।

व्हाइट टाइगर सफारी देखने का समय।

मुकुंदपुर रीवा में स्थित व्हाइट टाइगर सफारी को देखने कि समय सुबह 9:00 से लेकर शाम के 4:00 बजे तक का होता है। हर सप्ताह को बुधवार को जू बंद होता है। आप इनकी ऑफिशल वेबसाइट पर समय और सार्वजनिक छुट्टियों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। आप अपने परिवार और बच्चों के साथ यहां पर खूबसूरत समय बिता सकते हैं।

व्हाइट टाइगर सफारी प्रवेश शुल्क

यहां पर जू के अंदर व्हाइट टाइगर सफारी मौजूद है। जू के अंदर प्रवेश के लिए आपको अपने सुविधा के हिसाब से शुल्क लगेगी। पैदल चलकर जू देखना चाहते हैं तो ₹25 लगते हैं। साईकिल की सुविधा के लिए ₹40 प्रति घंटे के हिसाब से देने पड़ेंगे। बिजली से चलने वाली गाड़ी में सवार होना चाहते हैं तो प्रति व्यक्ति ₹50 की प्रवेश शुल्क लगती है। व्हाइट टाइगर्स सफारी देखने के लिए आपको अतिरिक्त ₹50 का शुल्क लगेगा। इनकी ऑफिशल वेबसाइट द्वारा शुल्क के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

महाराजा मार्तंड सिंह जूदेव व्हाइट टाइगर सफारी और चिड़ियाघर रीवा मुकुंदपुर।

दुनिया की एकमात्र जगह जहां पर सबसे अधिक व्हाइट टाइगर पाए जाते हैं।
Maharaja Martand Singh Judeo White Tiger Safari and Zoo

व्हाइट टाइगर्स सफारी चिड़ियाघर के अंदर स्थित हैं। चिड़ियाघर का मुख्य आकर्षण सफेद बाघों को माना जाता है। यह चिड़ियाघर मुकंदरपुर गांव रीवा संभाग के सतना जिले में स्थित है। यहां पर आप सफेद बाघों के साथ-साथ और अन्य वन्यजीवों को भी देख सकते हैं। चिड़ियाघर में बहुत सारी प्रजातियों के वन्य जीव मौजूद हैं। माना जाता है चिड़ियाघर के परिसर में लगभग 40 विभिन्न प्रकार के लुप्तप्राय प्रजातियों को संग्रह किया गया है। चिड़ियाघर के परिसर के अंदर लगभग 60 से अधिक गैर लुप्तप्राय प्रजातियों को संग्रह किया गया है। यह परिसर जानवरों को रहने के लिए प्राकृतिक माहौल प्रदान करता है।

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